Saturday 11 August 2012

बाँसुरी

 
राधिका सा प्रेम कान्हा से करे ये बाँसुरी।
चूमे अधरों को किसी से ना डरे ये बाँसुरी॥

न बना है ना बनेगा मीठा इस मकरंद सा।
बाँस से सरगम सुधा बन के झरे ये बाँसुरी॥

 

 खामियों को जो बनाएँ खूबियाँ योद्धा है वो।
बात सच सौ फीसदी साबित करे ये बाँसुरी॥


 साथी बन जाती है ये एकांत में चाहो अगर।
एक पल में मन का सूनापन भरे ये बाँसुरी॥


कुमार अहमदाबादी